Monday, August 23, 2010

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं...

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ।
एक दोस्त है कच्चा पक्का सा ,
एक झूठ है आधा सच्चा सा ।
जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,
एक बहाना है अच्छा अच्छा सा ।
जीवन का एक ऐसा साथी है ,
जो दूर हो के पास नहीं ।
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ।
हवा का एक सुहाना झोंका है ,
कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा ।
शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले ,
कभी अपना तो कभी बेगानों सा ।
जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र ,
जो समंदर है , पर दिल को प्यास नहीं ।
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ।
एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है ,
यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है ।
यूँ तो उसके न होने का कुछ गम नहीं ,
पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है ।
यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में है ,
पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं ।
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .............

Friday, August 20, 2010

गुरु नानक देव जी के पद ........


हरि नाम बिनातू सिमिरन कर ले मेरे मना तेरी बीती उमर हरि नाम बिना।
जैसे तरुवर फल बिन हीना तैसे प्राणी हरि नाम बिना।
काम क्रोध मद लोभ बिहाई, माया त्यागो अब संत जना।
नानक के भजन संग्रह से यह पद उद्धृत है।
झूठी देखी प्रीतजगत में झूठी देखी प्रीत।
अपने ही सुखसों सब लागे, क्या दारा क्या मीत॥
मेरो मेरो सभी कहत हैं, हित सों बाध्यौ चीत।
अंतकाल संगी नहिं कोऊ, यह अचरज की रीत॥
मन मूरख अजहूँ नहिं समुझत, सिख दै हारयो नीत।
नानक भव-जल-पार परै जो गावै प्रभु के गीत॥
नानक के भजन संग्रह से यह पद उद्धृत है।
को काहू को भाईहरि बिनु तेरो को न सहाई।
काकी मात-पिता सुत बनिता, को काहू को भाई॥
धनु धरनी अरु संपति सगरी जो मानिओ अपनाई।
तन छूटै कुछ संग न चालै, कहा ताहि लपटाई॥
दीन दयाल सदा दु:ख-भंजन, ता सिउ रुचि न बढाई।
नानक कहत जगत सभ मिथिआ, ज्यों सुपना रैनाई॥
नानक के भजन संग्रह से उद्धृत है।

जय सांई राम~~~