Thursday, April 26, 2012

मै तो आशिक हूँ दीवाना ना बनाना मुझको....


कच्ची दिवार हूँ  ठोकर ना लगाना मुझको,
अपनी नज़रो में बसाकर ना गिरना मुझको,
तुमने आँखों में तस्वीर की तरह रखता हूँ,
दिल में धड़कन की तरह तुम भी बसना मुझको,
बात करने में जो मुश्किल हो तुम्हे महफ़िल में,
मै समझ जाऊँगा नजरो से बताना मुझको,
वादा उतना ही करो जितना निभा सकते हो,
ख्वाब पूरा जो ना हो वो ना दिखाना मुझको.
अपने रिश्ते की नजाकत का भरम रख लेना,
मै तो आशिक हूँ दीवाना ना बनाना मुझको,
कच्ची दिवार हूँ  ठोकर ना लगाना मुझको,
अपनी नज़रो में बसाकर ना गिरना मुझको.... 

Saturday, April 21, 2012

कुछ हकीकत है....




 मेरे लिखने में इक शरारत है, 

मुझमे लिखने की इक लत(आदत) है,

अकसर कुछ बयाँ करने की कोशिश करता हूँ, 

समझ के देखो तो मेरे लिखने में कुछ हकीकत है....  

Friday, April 6, 2012

वो सब ख्वाब था....

इस सजा का मै खुद हकदार था,
बेवफा अगर तुम ना थे, तो बेवफा मै भी ना था,
कितनी मोहब्बत थी हम दोनों के दिलो में
और कितना खुबसूरत अरमान था,
नींद से जागा और पता चला की
हकीकत कुछ और थी और वो सब ख्वाब था.....

अमरदीप सिंह