Wednesday, October 31, 2012
Monday, October 15, 2012
Friday, October 12, 2012
मै मुजरिम हा तेरा मेरा दुश्मन है गवाह...
नहीं जीना नहीं जीना हुन मैनू तेरे बिना,
मै मुजरिम हा तेरा मेरा दुश्मन है गवाह..
तू बदली तू बदली तेरी शातिर सी अदा,
मै आशिक सी तेरा ना तुझसे मै जुदा..
तू कमली मै कमला जो दोस्ती गये भुला,
आजा वापिस मुड़ के अब और ना रुला..
ऐ अल्लाह, ऐ मौला, मेरी गलती तो बता,
गुस्ताख हूँ मै तो मुझे अपने पास बुला..
ना समझा ना जाना मै, हुन होना है आगाह,
मै कातिल सी अपना, मेरी वखरी है निगाह..
नहीं जीना नहीं जीना हुन मैनू तेरे बिना,
मै मुजरिम हा तेरा मेरा दुश्मन है गवाह..........
>>>>अमरदीप<<<<
Friday, October 5, 2012
मेरी 'सोणी' इतनी मतलबपरस्त ना थी.......
ना चाहत है मुझे उन सपनो की,
जिसमे तेरा एहसान हो मुझपर...
तेरी एक ना की खातिर मैंने,
अपनी तकदीर बदल डाली...
खुद से ज्यादा यकीन और,
दिल को बड़े अरमान थे तुझपर...
तेरी हर ख़ुशी की खातिर मैंने,
अपने हाथो की लकीर बदल डाली...
तू बदली, बदला तेरा दिल ऐ 'सोणी',
तुने तो मेरी कायनात ही बदल डाली...
बदला मेरा दिन, बदली मेरी रात,
बदलते गये मेरे हर वो जज्बात...
ना चाहत है मुझे अब तेरे सपनो की,
जिसमे तेरा एहसान हो मुझपर...
जिसमे तेरा एहसान हो मुझपर...
ना पूछी तुने मुझसे मेरी रजा,
खुद ही फैसला कर हकीकत बयां कर डाली..
अपना रास्ता सीधा और आसां कर,
अपना रास्ता सीधा और आसां कर,
मेरी राह में कई मशक्कत दे डाली...
मेरी 'सोणी' इतनी मतलबपरस्त ना थी,
जो तुने उसकी हस्ती बदल डाली...
अब ना आदत है मुझे तेरी यादो की,
जो 'सोणी' तुने रहने ना दी मुझ पर....
ना चाहत है मुझे अब तेरे सपनो की,
जिसमे तेरा एहसान हो मुझ पर...
जिसमे तेरा एहसान हो मुझ पर...
>>>>अमरदीप<<<<
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