Wednesday, November 18, 2015

है नही अब मुझमें इतनी हसरत कि खुद को किसी के काबिल बना दे...



है नही अब मुझमें इतनी हिम्मत कि फिर से अपने दिल में किसी को जगह दे,
है नही अब मुझमें इतनी हसरत कि खुद को किसी के काबिल बना दे।
एक ही दुआ मांगी थी रब से कि उनको मेरा बना दे,
हसर हुआ ऐसा कि कोई मुझे पल के लिए भी ना पनाह दे।
पूछ लिया मैंने अपने रब से कहीं तो मुझको जगह दे,
कह दिया रब ने, जन्नत या जहन्नुम जाने की तू कोई तो मुझको वजह दे।।

{ अमरदीप सिंह }

Tuesday, November 17, 2015

हम भी जज्बातों में बह गए होंगे....


माना किसी के जज्बातों के साथ खेलना उनका पेशा रहा होगा,
हम भी जज्बातों में बह गए होंगे।
दिल में अपने उन्हें जगा देकर,
हम खुद दिल तक उनके ना पहुंचे होंगे।
प्यार वो भी हमसे करते है ऐसा झूठ ही कहा था उन्होंने,
उस झूठ को ही सही कभी तो वो याद किया करते होंगे।
आज वो खुश है किसी के साथ अपनी दुनिया में,
हम भी खुश होंगे अपनी दुनिया में ऐसा वो सोचा करते होंगे।।

{ अमरदीप सिंह }