Tuesday, October 20, 2015

बत्तमीज हूँ, बेरूखा हूँ, कड़वीं बातें करता हूँ अक्सर...


कटती नहीं जो जिन्दगी यूँ आसानी से,
उसे जीने की कोशिश करता हूँ। 
जीता हूँ जिनके साथ अपनी मनमानी से,
उनकी ख्वाहिशे पूरी करने की कोशिश करता हूँ। 
बत्तमीज हूँ, बेरूखा हूँ, कड़वीं बातें करता हूँ अक्सर,
दुनिया जो सुनना पसंद नही करती, वो सच बोलने की कोशिश करता हूँ।।

{ अमरदीप सिंह }

Monday, October 12, 2015

देख कर चोट का निशां उनके होठों पर...


देख कर चोट का निशां उनके होठों पर, आज ये एहसास हुआ कि..
कांटो में खिला वो ख़ूबसूरत गुलाब कितने दर्द झेलता होगा।।

{ अमरदीप सिंह }

Friday, October 9, 2015

इजहार करना भी मुश्किल हो जाता है....


ना सुनने के डर से इजहार करना भी मुश्किल हो जाता है,
पास हो वो चाहे जिसे दिल, प्यार करना मुश्किल हो जाता है।
दिल धड़कता है जोर जोर से करीब उनके जाने से, 
इजहार करके कहीं दूर ना चले जाए वो, ये सोच कर सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।।

{ अमरदीप }

ए ज़िंदगी मुझसे यूँ दगा ना कर....



ए ज़िंदगी मुझसे यूँ दगा ना कर,
मैं जिन्दा रहूँ हमेशा ये दुआ ना कर। 
कोई देखता है उन्हें तो जलन होती है मुझको,
ए हवा तू भी उन्हें ज्यादा छुआ ना कर।

{ अमरदीप }