श्री अमरनाथ यात्राभक्तो का अपने भोले नाथ भगवान् शिव शंकर के साक्षात दर्शन करने का एक मुख्य जरिया है.... कैलाश पर्वत के बाद अमरनाथ दूसरा ऐसा स्थान है जहा भगवान् शिव शंकर माँ पारवती के साथ साक्षात विराजमान है ... अपने भगवान् के साक्षात दर्शन पा कर अपना मानव जीवन धन्य बनाने के लिए करोडो श्रद्धालु हर वर्ष इस यात्रा के शुरू होने का बेसब्री से इंतज़ार करते है... और इस यात्रा के आरम्भ होते ही लोग अपने सभी काम काज छोड़ कर प्रभु के भागती में लीन हो कर श्री अमरनाथ यात्रा को चल पड़ते है....... इस यात्रा को जाने के लिए श्रद्धालु द्वारा एक फार्म भर के यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवानी पड़ती है.... और फिर रजिस्ट्रेशन होते ही श्रद्धालु अपने प्रभु के दर्शनों को चल पड़ते है......
पर अब माहौल कुछ इस प्रकार से हो गया है की यात्रा की रजिस्ट्रेशन के लिए जो फार्म पहले इन्टरनेट के जरिये लोग भर देते थे या बैंक से लेकर अपनी रजिस्ट्रेशन करवा लेते थे... पर अब सरकार द्वारा खोले गये रजिस्ट्रेशन केन्द्रों पर इन्टरनेट के माध्यम से भरे जा रहे फारम को नहीं लिया जा रहा और ना ही उनके द्वारा कोई और फारम लोगो तक पहुच रहे है... किसी प्रकार से ये फार्म लोगो को मिल रहा है और लोग अपनी रजिस्ट्रेशन करवा के यात्रा को जाते है और किसी कारण वश वहा देरी से पहुचते है तो इतनी कठिनाईयों का सामना करने के बावजूद वहा उन्हें इनती दूर पहुचने पर प्रभु के दर्शन नहीं करने दिए जा रहे.....जिस तारीख की रजिस्ट्रेशन है उसी दिन ही यात्रा संभव होगी......

अपने मुल्क में हो कर भी इस यात्रा के लिए इतनी मशक्कत है उसके बावजूद भी यात्रा संभव ना हो तो कौन कहेगा की हम आजाद भारतवर्ष के नागरिक है??? कौन कहेगा मेरा भारत महान है???? क्या ये शब्द सिर्फ किताबो में ही छापने के लिए रह गयी है??? क्या आवाम इसी तरह से सोता रहेगा???? क्या कोई इसके विरुद्ध कोई आवाज नहीं उठाएगा????


Dashmesh pita directed Babaji to start the age old traditional ‘Langar’ at this place by uttering these words HATH TERA KHISA MERA which means you should do the work of preparation and distribution that is serving langar among the devotees whereas I will take care of expenses. This is the main reason why lakhs and lakhs of devotees visit everyday and eat the langar as Prasad of Gurudwara, still there is no shortage in Gurudwara langar sahib. This is magic of the words said by Kalgidhar Sachche Patshah (Shri Guru Gobind Singh Ji).