Friday, October 12, 2012

मै मुजरिम हा तेरा मेरा दुश्मन है गवाह...


नहीं जीना नहीं जीना हुन मैनू तेरे बिना,
मै मुजरिम हा तेरा मेरा दुश्मन है गवाह..
तू बदली तू बदली तेरी शातिर सी अदा,
मै आशिक सी तेरा ना तुझसे मै जुदा..
तू कमली मै कमला जो दोस्ती गये भुला,
आजा वापिस मुड़ के अब और ना रुला..
ऐ अल्लाह, ऐ मौला, मेरी गलती तो बता,
गुस्ताख हूँ मै तो मुझे अपने पास बुला..
ना समझा ना जाना मै, हुन होना है आगाह,
मै कातिल सी अपना, मेरी वखरी है निगाह.. 
नहीं जीना नहीं जीना हुन मैनू तेरे बिना,
मै मुजरिम हा तेरा मेरा दुश्मन है गवाह..........

>>>>अमरदीप<<<<

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