Saturday, September 15, 2012

नही खोना चाहता खुद को रास्ता-ए-गुमनाम से पहले...


जुबां पर नाम आया जो खुदा के नाम से पहले,
हर जगह बदनाम पाया मुझे उनके अंजाम से पहले..
जिस शराब को कभी छुआ भी नही था इन कमबख्त हाथों ने,
दो चार बाटली यु ही, पी जाते है दोस्त के एक जाम से पहले..
सारा दिन ये आँखे उनकी जुदाई के नशे में रहती है,
फिर शराब भी आंसू बन कर बहती है हर शाम से पहले..
पहले अपनों ने, फिर उन्होंने खेला इस नाजुक दिल से,
अब तो दोस्त भी ना पूछते हमे, किसी काम से पहले..
जन्नत या जहन्नुम को तक़दीर बना लू अब बस,
नही खोना चाहता खुद को रास्ता-ए-गुमनाम (गुमनाम रास्तो में) से पहले.. 

>>>>अमरदीप<<<<

Thursday, September 13, 2012

तेरे हर दर्द में बराबर का हक़दार हूँ....


तेरी ख़ामोशी में कई गम है,
तेरी आँखे कुछ कुछ नम है..
इस हाल में तुझे यूँ ना छोडूंगा अकेला,
जानता हूँ मुझ पर तेरा यकीं कम है..
तेरे हर दर्द में बराबर का हक़दार हूँ,
इस दोस्ती का हमेशा मैं कर्ज़दार हूँ..
तू लाख छुपा ले अपने ज़ख़्म मुझसे,
कुछ कुछ तो मैं भी समझदार हूँ.... 

>>>>अमरदीप<<<<

Wednesday, September 12, 2012

सावन की जब खबसूरत शाम होती है....


सावन की जब खबसूरत शाम होती है,
नैनो की नैनो से तब बात होती है..
शमा जलाये सर्द की रात में,
इक यादगार मुलाकात होती है..
कुछ शरारत उनकी होती है,
कुछ लम्हों की ताक होती है..
दिल धडकता है जोरो से,
चाहत भी कुछ ख़ास होती है..
वो चाह कर भी भूल ना पाए हमे,
नीयत भी ना साथ होती है..
''अमरदीप'' कहता है, खुद को रोक ऐ आशिक, 
तब ना होश होता है ना मात होती है.. 

>>>>अमरदीप<<<<

Saturday, September 8, 2012

अब मैं ही तेरी उन आँखों में खटकता रहा हूँ.....


तेरे हर ज़ख़्म पर मैं मरहम बन लगता रहा हूँ, 
सर्द की हर रात में तेरे लिए सुलगता रहा हूँ...
यकीन कर मुझ पर गुनाहगार नही हूँ मैं तेरा,
खुद को बेक़सूर बताने को अब तक भटकता रहा हूँ...
याद कर वो लम्हे जब तेरी आँखे मेरा राह तकती थी, 
अब मैं ही तेरी उन आँखों में खटकता रहा हूँ...
फिर भी गर ना माने तेरा दिल जो मेरा कभी बसेरा था,
मौत दे मुझे, अगर उस दिल में अब मैं काँटा बन पनपता रहा हूँ.....   


>>>>अमरदीप<<<< 

Wednesday, September 5, 2012

याद कर तेरे बुलंद इरादों को, तेरी गली छोड़ जाने लगे.....


कर बुलंद अपने इरादों को इतना की,
गम भी तुझसे घबराने लगे..
दर्द और तकलीफ तुझ तक पहुँचने से पहले,
याद कर तेरे बुलंद इरादों को, तेरी गली छोड़ जाने लगे..... 

>>>>अमरदीप<<<<


Monday, September 3, 2012

एक मेरा घर छोड़ कर हर जगह बारिश हुयी...


मेरी खुदा से कई दफा गुज़ारिश हुयी, 
एक मेरा घर छोड़ कर हर जगह बारिश हुयी...
लोग इस दुनिया में कई गुल खिलाते है,
एक मेरे गुल के लिए हर तरह की साजिश हुयी...

>>>>अमरदीप<<<<

Saturday, September 1, 2012

और हमसे कहा की हद कर दी....


गुनाह मेरा इतना बड़ा ना था,

जितनी तुमने सजा दे दी.. 
दूर ही करना था खुद से तो, 
पहले क्यों करीब आने की रजा (मंजूरी) दे दी..  
हद तो आपने बनायीं रिश्ते के बीच, 
और हमसे कहा की हद कर दी.. 
जुदा ना कर पाता हमे कोई, 
किसी और से पहले आपने वो हिम्मत कर दी.. 
मैं तो कर चला था ये जिंदगी आपके नाम, 
और आपने कह दिया की कैसे ये जरुरत (गलती) कर दी.. 

>>>>अमरदीप<<<<<