Friday, November 2, 2012

खुदा ही गवाह था मेरे ज़ख़्मी दिल का.....


ना अब तक पता था उन्हें मेरे हाल-ए-दिल का ,
खुदा ही गवाह था मेरे ज़ख़्मी दिल का.....
ना गौर से देखा कभी उन्होंने मेरी तनहाई को,
मै ही चल पड़ा था थाम के उनकी परछाई को....
इक जोत जगाई थी फिर से मैंने अपने दिल में,
पता ना था, हम भी शामिल थे उनके कातिल में....





                                                     >>>>अमरदीप<<<< 

बड़ी शिद्दत से उसे मै याद आता होगा...


इश्क में हर बार लुटना मेरा मुक़द्दर था,
मेरा गम ही मेरी जिन्दगी का सिकंदर था.. 
मेरा मुरशद भी मुझसे यही चाहता होगा,
बड़ी शिद्दत से उसे मै याद आता होगा..
ना जिक्र आता होगा उनकी बातो में अब मेरा,
अब तो उनका दिल भी ना रहा मेरा बसेरा..


>>>>अमरदीप<<<<

Wednesday, October 31, 2012

अक्सर उनका फांसला बढ़ता ही गया...



उनके ज़ख़्म इतने गहरे थे की, 
जब भी मैंने उनकी खातिर मरहम बनना चाहा,
तो अक्सर उनका दर्द बढ़ता ही गया...
उनके राह में इतने पहरे थे की,
जब भी मैंने उन तक बढ़ना चाहा,
तो अक्सर उनका फांसला बढ़ता ही गया...



>>>>अमरदीप<<<<

Monday, October 15, 2012

पहले आते है लोग जिन्दगी में हसीन वादों के साथ...


पहले आते है लोग जिन्दगी में हसीन वादों के साथ, 
फिर छोड़ जाते है हमें तनहा यादों के साथ, 
हम खुद को कोसतें है फिर तमाम उम्र,
आखिर समझौता करना ही पड़ता है उन इरादों के साथ.....

>>>>अमरदीप<<<<

Friday, October 12, 2012

मै मुजरिम हा तेरा मेरा दुश्मन है गवाह...


नहीं जीना नहीं जीना हुन मैनू तेरे बिना,
मै मुजरिम हा तेरा मेरा दुश्मन है गवाह..
तू बदली तू बदली तेरी शातिर सी अदा,
मै आशिक सी तेरा ना तुझसे मै जुदा..
तू कमली मै कमला जो दोस्ती गये भुला,
आजा वापिस मुड़ के अब और ना रुला..
ऐ अल्लाह, ऐ मौला, मेरी गलती तो बता,
गुस्ताख हूँ मै तो मुझे अपने पास बुला..
ना समझा ना जाना मै, हुन होना है आगाह,
मै कातिल सी अपना, मेरी वखरी है निगाह.. 
नहीं जीना नहीं जीना हुन मैनू तेरे बिना,
मै मुजरिम हा तेरा मेरा दुश्मन है गवाह..........

>>>>अमरदीप<<<<

Friday, October 5, 2012

मेरी 'सोणी' इतनी मतलबपरस्त ना थी.......


ना चाहत है मुझे उन सपनो की, 
जिसमे तेरा एहसान हो मुझपर... 

तेरी एक ना की खातिर मैंने,
अपनी तकदीर बदल डाली... 
खुद से ज्यादा यकीन और,
दिल को बड़े अरमान थे तुझपर...
तेरी हर ख़ुशी की खातिर मैंने,
अपने हाथो की लकीर बदल डाली...
तू बदली, बदला तेरा दिल ऐ 'सोणी',
तुने तो मेरी कायनात ही बदल डाली...
बदला मेरा दिन, बदली मेरी रात,
बदलते गये मेरे हर वो जज्बात... 
ना चाहत है मुझे अब तेरे सपनो की,
जिसमे तेरा एहसान हो मुझपर... 

ना पूछी तुने मुझसे मेरी रजा,
खुद ही फैसला कर हकीकत बयां कर डाली..
अपना रास्ता सीधा और आसां कर,
मेरी राह में कई मशक्कत दे डाली... 
मेरी 'सोणी' इतनी मतलबपरस्त ना थी,
जो तुने उसकी हस्ती बदल डाली... 
अब ना आदत है मुझे तेरी यादो की,
जो 'सोणी' तुने रहने ना दी मुझ पर.... 
ना चाहत है मुझे अब तेरे सपनो की,
जिसमे तेरा एहसान हो मुझ पर... 


>>>>अमरदीप<<<< 

Saturday, September 15, 2012

नही खोना चाहता खुद को रास्ता-ए-गुमनाम से पहले...


जुबां पर नाम आया जो खुदा के नाम से पहले,
हर जगह बदनाम पाया मुझे उनके अंजाम से पहले..
जिस शराब को कभी छुआ भी नही था इन कमबख्त हाथों ने,
दो चार बाटली यु ही, पी जाते है दोस्त के एक जाम से पहले..
सारा दिन ये आँखे उनकी जुदाई के नशे में रहती है,
फिर शराब भी आंसू बन कर बहती है हर शाम से पहले..
पहले अपनों ने, फिर उन्होंने खेला इस नाजुक दिल से,
अब तो दोस्त भी ना पूछते हमे, किसी काम से पहले..
जन्नत या जहन्नुम को तक़दीर बना लू अब बस,
नही खोना चाहता खुद को रास्ता-ए-गुमनाम (गुमनाम रास्तो में) से पहले.. 

>>>>अमरदीप<<<<

Thursday, September 13, 2012

तेरे हर दर्द में बराबर का हक़दार हूँ....


तेरी ख़ामोशी में कई गम है,
तेरी आँखे कुछ कुछ नम है..
इस हाल में तुझे यूँ ना छोडूंगा अकेला,
जानता हूँ मुझ पर तेरा यकीं कम है..
तेरे हर दर्द में बराबर का हक़दार हूँ,
इस दोस्ती का हमेशा मैं कर्ज़दार हूँ..
तू लाख छुपा ले अपने ज़ख़्म मुझसे,
कुछ कुछ तो मैं भी समझदार हूँ.... 

>>>>अमरदीप<<<<

Wednesday, September 12, 2012

सावन की जब खबसूरत शाम होती है....


सावन की जब खबसूरत शाम होती है,
नैनो की नैनो से तब बात होती है..
शमा जलाये सर्द की रात में,
इक यादगार मुलाकात होती है..
कुछ शरारत उनकी होती है,
कुछ लम्हों की ताक होती है..
दिल धडकता है जोरो से,
चाहत भी कुछ ख़ास होती है..
वो चाह कर भी भूल ना पाए हमे,
नीयत भी ना साथ होती है..
''अमरदीप'' कहता है, खुद को रोक ऐ आशिक, 
तब ना होश होता है ना मात होती है.. 

>>>>अमरदीप<<<<

Saturday, September 8, 2012

अब मैं ही तेरी उन आँखों में खटकता रहा हूँ.....


तेरे हर ज़ख़्म पर मैं मरहम बन लगता रहा हूँ, 
सर्द की हर रात में तेरे लिए सुलगता रहा हूँ...
यकीन कर मुझ पर गुनाहगार नही हूँ मैं तेरा,
खुद को बेक़सूर बताने को अब तक भटकता रहा हूँ...
याद कर वो लम्हे जब तेरी आँखे मेरा राह तकती थी, 
अब मैं ही तेरी उन आँखों में खटकता रहा हूँ...
फिर भी गर ना माने तेरा दिल जो मेरा कभी बसेरा था,
मौत दे मुझे, अगर उस दिल में अब मैं काँटा बन पनपता रहा हूँ.....   


>>>>अमरदीप<<<< 

Wednesday, September 5, 2012

याद कर तेरे बुलंद इरादों को, तेरी गली छोड़ जाने लगे.....


कर बुलंद अपने इरादों को इतना की,
गम भी तुझसे घबराने लगे..
दर्द और तकलीफ तुझ तक पहुँचने से पहले,
याद कर तेरे बुलंद इरादों को, तेरी गली छोड़ जाने लगे..... 

>>>>अमरदीप<<<<


Monday, September 3, 2012

एक मेरा घर छोड़ कर हर जगह बारिश हुयी...


मेरी खुदा से कई दफा गुज़ारिश हुयी, 
एक मेरा घर छोड़ कर हर जगह बारिश हुयी...
लोग इस दुनिया में कई गुल खिलाते है,
एक मेरे गुल के लिए हर तरह की साजिश हुयी...

>>>>अमरदीप<<<<

Saturday, September 1, 2012

और हमसे कहा की हद कर दी....


गुनाह मेरा इतना बड़ा ना था,

जितनी तुमने सजा दे दी.. 
दूर ही करना था खुद से तो, 
पहले क्यों करीब आने की रजा (मंजूरी) दे दी..  
हद तो आपने बनायीं रिश्ते के बीच, 
और हमसे कहा की हद कर दी.. 
जुदा ना कर पाता हमे कोई, 
किसी और से पहले आपने वो हिम्मत कर दी.. 
मैं तो कर चला था ये जिंदगी आपके नाम, 
और आपने कह दिया की कैसे ये जरुरत (गलती) कर दी.. 

>>>>अमरदीप<<<<<

Thursday, August 30, 2012

जिस पत्थर को अक्सर मैं घूरता रहा, दरअसल वो खुदा था.....


जिस पत्थर को अक्सर मैं घूरता रहा, दरअसल वो खुदा था.....
सभी उनके करीबी थे, मैं ही उनसे जुदा था...
फिर इक दफा उन्होंने दो लोगो को मेरे करीब भेजा,
जिन्होंने मुझे उस खुदा के करीब भेजा...
खुदा का रंग मुझे,  पहले ही दिन नज़र आया..
मुड कर जिधर भी देखा, उसी का था साया..
ढूंढा जिधर उस खुदा को, हर जहग उसे पाया...
ना एक सूरत थी उसकी, नाही एक थी काया..
धुप भी उसकी की थी, वही देता रहा छाया..
ना कोई समझ सका अब तक, कैसी है उसकी माया...
इतना समझ सका हूँ की , वो ही मुझे जग में  लाया...

>>>>अमरदीप<<<<

जिन्दा रख दिल को अपने, तेरी याद को जिन्दा रखूँगा...



मैं आग था, आग हूँ और आग ही रहूँगा,
तू मेरी हकीकत है और मैं इत्तेफाक ही रहूँगा,
ना डरुंगा, ना लडूंगा और ना मरुंगा तेरी खातिर,
जिन्दा रख दिल को अपने, तेरी याद को जिन्दा रखूँगा,
मैं तनहा था, तनहा हूँ और तनहा ही रहूँगा,
तू थाम ले हाथ ये कभी ना मैं कहूँगा, 
तू चाँद था, चाँद है और चाँद ही रहेगा,
जमीं हूँ मै ये याद रख तुझ तक ना पहुँचूंगा,
तू फूल था, फूल है और फूल ही रहेगा,
जड़ो में ना तेरी मै, ना शाख भी बनूँगा.. 
तू प्यार था, प्यार है और प्यार ही रहेगा,
मिले ना मुझे अब, तो कभी ना मै जनूँगा(जन्मुंगा).. 

>>>>अमरदीप सिंह<<<<

Saturday, July 21, 2012

क्या मेरा अंजाम है आया....

मेरा नसीब भी तब किसी काम ना आया, 
जब कुछ कर दिखाने के मुकाम पे मै आया.. 
खुदा से मांगता था जो मै अक्सर,
जवाब में कभी कोई पैगाम ना आया...
देखता तो वो भी था कही से मुझे,
मेरी बदनसीबी का वो तोहफा भी बेनाम आया..
ऐ खुदा, तुही बता दे मुझे क्या करू मै,
क्या मेरा हशर, क्या मेरा अंजाम है आया....

>>>>अमरदीप<<<<

Friday, July 20, 2012

अंत "अमरदीप" सुलगता गया....

जाल बुनना तुने शुरू किया, और फंसता मै चला गया..
गुनाह हर बार तुने किया, और गुनाहगार मै बनता गया..
कांटे बोये रास्तो पर तुने, आँख बंद कर मै चलता गया..
कांच तुने तोड़े जाकर सबके , टुकडो में मै बंटता गया..
चिराग बुझाये तुने अक्सर, अंधेरो में मै भटकता गया..
खेला तुने कई दिलों से अब तक, दर्द से मै बिलखता गया..
आखिर घर किसी और का जला, अंत "अमरदीप" सुलगता गया.. 

>>>>अमरदीप<<<<

Tuesday, July 17, 2012

खुदा भी फिर झूठा लगने लगता है...


जानना तो मै भी चाहता था अपनी कमजोरियां,
पास आकर फिर क्यों बढ़ने लगती है दूरियां..
सब कुछ रूठा-रूठा सा लगने लगता है,
खुदा भी फिर झूठा लगने लगता है...
जिन गलियों में हम अक्सर किसी के लिए जाया करते थे,
उन्ही यादो से क्यों मुहं मुड़ने लगता है....
जब इतना करीब आये वो एक दम से,
फिर जन्मो-जन्मो का रिश्ता भी लगने लगता है...
गर्मी, पतझड़ या हो सर्द की ठिठुरती हुयी रात,
हर मौसम एक सा क्यों लगने लगता है....
कोई तो वजह होगी मुझसे दूर जाने की,
वो आये थे कभी मेरी जिन्दगी के किसी मोड़ पर,
"अमरदीप" को वो मोड़ इक सपना लगने लगता है.... 

>>>>अमरदीप<<<<

Monday, July 16, 2012

तू ही बता मै करूँ तो क्या करूँ ....


मेरे अल्लाह,  मेरे मालिक, मेरे वाहेगुरु,

तू ही बता मै करूँ तो क्या करूँ ....
कांटो की राह पर भी  तूने चलना सिखाया,
गिरने पर उठ के संभलना भी तूने बताया...
सूरज की तरह पल- पल जलता रहा मै,
चाँद सा रोशन भी तूने बनाया...
तूने अगर छिना जो तूने ही दिया था,
तूने ही जना और तूने ही दफनाया....

इन्सां हूँ मै, मै तुझसा खुदा नही,
तेरी कायनात का हूँ, मै तुझसे जुदा नही...
खफा है तू ये कैसा समां आया,
तेरी ही ममता का है मुझपे साया...
आगे भी देगा जो तुने दिया था,
तुझको ही हर तरफ मैंने है पाया....
तेरी ही मूरत तेरी ही काया.. 
तू ही बता मै करूँ तो क्या करूँ ....

>>>>अमरदीप<<<<

Saturday, July 14, 2012

दिल तू अब दगा ना देना, अब कोई सजा ना देना...


आसमां में है बादल से छाये,
अँधेरे से जी मेरा घबराये...
गम का भी आया था साया,
जब आंसू आखो तक आया..  
दिल तू अब दगा ना देना,
अब कोई सजा ना देना...

जब नीला था आसमां और पक्षी भी थे,
अँधेरे में कुछ नरभक्षी भी थे..
किसी के हिस्से में कोयल की कूक,
किसी के हिस्से तलवार और बन्दूक...
दिल तू अब दगा ना देना,
अब कोई सजा ना देना...

जमीं पे उसके पैर नही थे,
किसी  से उसके वैर नही थे...
फिर भी वो सबको खटकता था,
तनहा अकेला भटकता था....
दिल तू अब दगा ना देना,
अब कोई सजा ना देना...

हवा संग मुझे उड़ना था,
सागर सा आगे बढ़ना था..
गिरता गया गिरता गया,
फिर भी मुझे उठ चलना था...
दिल तू अब दगा ना देना,
अब कोई सजा ना देना...

गैरो ने थे निशाने साधे,
अपनों ने थे रिश्ते बांधे...
दोनों में ज्यादा फर्क ना था,
दुश्मन कौन है ये समझना था....
दिल तू अब दगा ना देना,
अब कोई सजा ना देना...

अब आया इक और सवेरा,
अपना बनाया मैंने खुद बसेरा..
ना कोई था अब मेरा अपना,
खुश रहना था मेरा सपना...
दिल तू अब दगा ना देना,
अब कोई सजा ना देना...

माँ मेरी कमजोर है अब, 
बाप सा कोई ना और है अब..
फ़र्ज़ मेरा है उन्हें खुशिया देना,
क़र्ज़ उनका मुझपे भुला ना देना...
दिल तू अब दगा ना देना,
अब कोई सजा ना देना...

>>>>अमरदीप<<<<

Thursday, July 12, 2012

किसी के लिए बेवफाई ना होती....

हसरते और ख्वाहिशे अगर सबकी पूरी होती,
तो इस कायनात में खुदा की जरुरत  ना होती....
हर कोई मन-चाहे के साथ इश्क करता,
किसी के दिल में किसी के लिए बेवफाई ना होती......

>>>>अमरदीप<<<<

Saturday, July 7, 2012

थोड़ी सी तो वफ़ा होती ????




अगर इस दुनिया में हर मर्ज की दवा होती,
मेरे गुनाहों के लिए भी कोई सजा होती... 
ना तड़पता "अमरदीप" यूँ  पानी बिन मछली की तरह,
उनके दिल में मेरे लिए थोड़ी सी तो वफ़ा होती ???? 


>>>>अमरदीप<<<<

मै कायर बनता गया...


कायरो की इस दुनिया में मै कायर बनता गया...
दिल के ज़ख्मो पर मरहम लगा मै शायर बनता गया ..
ना अब जिंदगी से प्यार रहा, ना मौत से नफरत..
ऐसी जिंदगी जीने के "अमरदीप" लायक बनता गया .......

>>>>अमरदीप<<<<<  

Thursday, July 5, 2012

मै गया इश्क के महकमे में....

मै गया इश्क के महकमे में, 
उसने मुझे ठग्ग लिया... 
कदम पहला ही था इश्क में, 
और पहले ही दिन लुट गया... 
अब ना खाना था  ना पीना था,
जीना भी इक तरह से छुट गया.. 
इश्क विच रो-रो मै कमला होया,
हसना भी अब भूल गया.. 
मै गया इश्क के महकमे में, 
उसने मुझे ठग्ग लिया............

>>>>>अमरदीप<<<<

Tuesday, July 3, 2012

खुदा भी हमारी मोहब्बत में शामिल होता...


अगर मोहब्बत करना इतना आसां होता, 
तो तेरा नाम पूजा और मेरा इबादत होता, 
हर मंदिर में हम फूल समझ कर चढ़ाये जाते,
खुदा भी हमारी मोहब्बत में शामिल होता... 

>>>>अमरदीप<<<<

Saturday, June 30, 2012

हम खुद को जलील कर बैठे.....


















इक दफा किसी और के साथ मुझे देख, 
कहा उन्होंने की जलन में वो हमसे इज़हार- ए- मोहब्बत कर बैठे, 
मेरी दुनिया उस दिन सिमट गयी,
और हम भी उनसे मोहब्बत कर बैठे,
कुछ समां बदला और वो भूल गये सब कुछ,
हर वक़्त अपनी मोहब्बत का एहसास दिला दिला कर,
हम खुद को जलील कर बैठे..... 

"अमरदीप सिंह "

Friday, June 8, 2012

Kuchh Aisa Mera Hashar Tha....





Teri Bewafai Ka Kuchh Aisa Asar Tha,
Meri Wafao Se Khuda Bhi Bekhabar Tha,
Wo To Ho Gya Jo Wo Chahati Thi,
Magar Afsos Yaaro Ho Wo Bhi Gya Jiska Muzhe Darr Tha,
Aankho Se Neend Gyi Dil Ka Krar Gya,
Zakham Bhi Nasoor Mile Dil Ko Samjhana Bekar Gya,
Mar-Mar Ke Jiya Hai Harpal ‘Amardeep’ Kuchh Aisa Mera Hashar Tha...

Thursday, May 31, 2012

Yeh saansen bhi le jaate to achha hota....




Dil ki aag inn ashkon se,
bujh jaati to achha hota.
bahut jatan kiye bahut pukaaraa,
jo ruk jaate tum to achha hota.
Pyaar ke saazon par hamne the geet likhe,
gar sang mere gaa paate tum to achha hota.
Tamanna thi inn hothon ki kaliyon ko chhune ki,
phool agar wo khil jaate to achha hota.
Berang hui duniya meri, koi chaah nahi,
thode rang agar bhar jaate to achha hota.
Tere pyaar ke dam hi se thi jo ye jaan 'Amardeep' ki,
yeh saansen bhi le jaate to achha hota....

>>>>>Amardeep<<<<<

Tuesday, May 29, 2012

Ishq ka jadoo hai mere pass..

Meri tamam khushiya, meri kawish, mera riaz..
Ik na tamam geet ke misrey hein jin kay beech..
Maani ka rabt hay na kisi qafiaye ka mail..
Anjaam jis ka tey na hua ho ,ik aisa khel..
Meri matah bus yahi jadoo hai ishq ka..
Seekha hay mein ney jisko bari mushkilon ke sath..
Lekin yeh sehar-e-ishq ka tohfa ajeeb hai..
Khulta nahi hai kuch k haqeeqat me kia hai yeh..
Taqdeer ki ata hai ya koi saza hai yeh..
Kis se kahe aye jaan ke yeh kissa ajeeb hai..
Kehne ko yu toh ishq ka jadoo hai mere pass..
Par mere dil ke wastey itna hai is ka bojh..
Seeney se ik pahaar sa hatna nahi hai yeh..
Lekin asar ke baab mein halka hai is qadar..
Tujh pe agar chalaon toh chalta nahi hay yeh....


>>AMARDEEP<<

Wednesday, May 16, 2012

जलकर सब राख हो गया...


धुँआ उठा, आग लगी, जलकर सब राख हो गया...
मेरी जिन्दगी का हर लम्हा मेरे लिए इत्तेफाक हो गया...
जिस "दीप" को इक रोज किसी ने फिरसे आकर जलाया...
जिन्दगी की उम्मीद में "अमरदीप" उसका नाम हो गया... 




                                                                   >>अमरदीप<<

Tuesday, May 15, 2012

प्यार अगर खुदा होता....


प्यार अगर खुदा होता, तो मेरा यार कभी ना मुझसे जुदा होता..   
मै भी हरदम हँसता खेलता, मेरी आँख में आंसू का नमूना ना होता..
जब भी वो आते जीने की राह दिखती,  उनके जाते ही मेरा घर सुना ना होता.. 
अब तो दिन और रात भी अपने ना रहे,  वक़्त का यूँ बेवफा होना ना लगता..
"अमरदीप"आज भी उनकी राह ताकता है, अब ये जग मुझे किनारा या कोना ना लगता..


>>अमरदीप<<

Friday, May 4, 2012


Ik Patthar Nu pooj pooj k koi usnu khuda nhi kar sakda,
Meri Sahiba nu Botal ch band karke usnu mere to tu juda nhi kar sakda.
Mai Mirza nhi ho sakya kise jamane da ta ki hoya,
sahiba de bharava nu maar k , mai v gunaah nhi kar sakda......


Amardeep Singh 

Thursday, April 26, 2012

मै तो आशिक हूँ दीवाना ना बनाना मुझको....


कच्ची दिवार हूँ  ठोकर ना लगाना मुझको,
अपनी नज़रो में बसाकर ना गिरना मुझको,
तुमने आँखों में तस्वीर की तरह रखता हूँ,
दिल में धड़कन की तरह तुम भी बसना मुझको,
बात करने में जो मुश्किल हो तुम्हे महफ़िल में,
मै समझ जाऊँगा नजरो से बताना मुझको,
वादा उतना ही करो जितना निभा सकते हो,
ख्वाब पूरा जो ना हो वो ना दिखाना मुझको.
अपने रिश्ते की नजाकत का भरम रख लेना,
मै तो आशिक हूँ दीवाना ना बनाना मुझको,
कच्ची दिवार हूँ  ठोकर ना लगाना मुझको,
अपनी नज़रो में बसाकर ना गिरना मुझको.... 

Saturday, April 21, 2012

कुछ हकीकत है....




 मेरे लिखने में इक शरारत है, 

मुझमे लिखने की इक लत(आदत) है,

अकसर कुछ बयाँ करने की कोशिश करता हूँ, 

समझ के देखो तो मेरे लिखने में कुछ हकीकत है....  

Friday, April 6, 2012

वो सब ख्वाब था....

इस सजा का मै खुद हकदार था,
बेवफा अगर तुम ना थे, तो बेवफा मै भी ना था,
कितनी मोहब्बत थी हम दोनों के दिलो में
और कितना खुबसूरत अरमान था,
नींद से जागा और पता चला की
हकीकत कुछ और थी और वो सब ख्वाब था.....

अमरदीप सिंह