Tuesday, June 7, 2016

कांच की बोतल में बंद तकदीर मेरी...


कांच की बोतल में बंद तकदीर मेरी, 
हर पल मुझे मेरी औकात याद कराती है।
मैं जितना भी मजबूर हो जाऊं दिल से अपने, 
फिर भी दिल पे ही हर बात आ जाती है।
सिर्फ प्यार के दो बोल की खातिर किसी पर सब कुछ लुटा दूं, 
लुट कर भी प्यार की ही तलब फिर से लग जाती है।
फिर वही उस कांच की बोतल में, 
मेरी तकदीर आकर बंद हो जाती है।

{अमरदीप सिंह}

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