मैं आग था, आग हूँ और आग ही रहूँगा,
तू मेरी हकीकत है और मैं इत्तेफाक ही रहूँगा,
ना डरुंगा, ना लडूंगा और ना मरुंगा तेरी खातिर,
जिन्दा रख दिल को अपने, तेरी याद को जिन्दा रखूँगा,
मैं तनहा था, तनहा हूँ और तनहा ही रहूँगा,
तू थाम ले हाथ ये कभी ना मैं कहूँगा,
तू चाँद था, चाँद है और चाँद ही रहेगा,
जमीं हूँ मै ये याद रख तुझ तक ना पहुँचूंगा,
तू फूल था, फूल है और फूल ही रहेगा,
जड़ो में ना तेरी मै, ना शाख भी बनूँगा..
तू प्यार था, प्यार है और प्यार ही रहेगा,
मिले ना मुझे अब, तो कभी ना मै जनूँगा(जन्मुंगा)..
>>>>अमरदीप सिंह<<<<
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