Monday, October 12, 2015

देख कर चोट का निशां उनके होठों पर...


देख कर चोट का निशां उनके होठों पर, आज ये एहसास हुआ कि..
कांटो में खिला वो ख़ूबसूरत गुलाब कितने दर्द झेलता होगा।।

{ अमरदीप सिंह }

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