Tuesday, October 20, 2015

बत्तमीज हूँ, बेरूखा हूँ, कड़वीं बातें करता हूँ अक्सर...


कटती नहीं जो जिन्दगी यूँ आसानी से,
उसे जीने की कोशिश करता हूँ। 
जीता हूँ जिनके साथ अपनी मनमानी से,
उनकी ख्वाहिशे पूरी करने की कोशिश करता हूँ। 
बत्तमीज हूँ, बेरूखा हूँ, कड़वीं बातें करता हूँ अक्सर,
दुनिया जो सुनना पसंद नही करती, वो सच बोलने की कोशिश करता हूँ।।

{ अमरदीप सिंह }

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