Monday, August 23, 2010

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,तुम कह देना कोई ख़ास नहीं...

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ।
एक दोस्त है कच्चा पक्का सा ,
एक झूठ है आधा सच्चा सा ।
जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,
एक बहाना है अच्छा अच्छा सा ।
जीवन का एक ऐसा साथी है ,
जो दूर हो के पास नहीं ।
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ।
हवा का एक सुहाना झोंका है ,
कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा ।
शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले ,
कभी अपना तो कभी बेगानों सा ।
जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र ,
जो समंदर है , पर दिल को प्यास नहीं ।
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ।
एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है ,
यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है ।
यूँ तो उसके न होने का कुछ गम नहीं ,
पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है ।
यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में है ,
पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं ।
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .............

2 comments:

  1. Wah...Kia Baat HAi...BAhut Khoob...Aap ne to Mujhe HAiraan KAr Diya....!

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  2. sir ye maine nahi likhi.. mujhe achhi lagi to blog pe laga di...

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