कहा जाता है की किसी शायर या कवी की रचित पंक्तियों में उसके दिल और दिमाग के अलावा उसकी रूह भी शामिल होती है। उनके द्वारा रचित पंक्तियों में उनकी जान का कुछ हिस्सा होता है और अगर कोई उनकी रचित गज़लों से या कविताओ से खिलवाड़ करे या उसका मजाक उडाये तो वह उनकी रूह को ठेस पहुँचाने के बराबर या कुछ उससे भी ज्यादा होता है।
तिरलोक सिंह जज को जब इस बारे में पता चला तो पहले तो शायद उन्होंने इस अनदेखा कर दिया, पर बाद में आग ज्यादा भड़कने व् कुछ सामाजिक लांछनो की वजह से उनका चुप्पी साधना संभव ना था। फिर इस बारे में जज साहिब की तरफ से ठोस कारवाही की गयी। जज साहिब ने कोई भी ठोस कदम किसी लालच या गायक को निचा दिखाने के लिए नहीं बल्कि इस विवाद को ख़तम करने के लिए उठाया। वह चाहते थे की कोई भी गायक भविष्य में आगे से ऐसा ना करे और तेजी से बढ़ रहे इस विवाद को भी ख़तम करना था।
अंत परिणाम स्वरूप फिरोजपुर में ही हुयी बैठक में जिसमे मशहूर पंजाबी गायक सतिंदर सरताज, शायर तिरलोक सिंह जज और कुछ हस्तियाँ मौजूद रही। जिसमे गायक सतिंदर सरताज जो की बहुत ही अच्छे व्यक्तित्व के है, बड़े ही अच्छे ढंग से इस विवाद को ख़तम करते हुए जज साहब से अपने से हुयी गलती के लिए क्षमा मांगते हुए इस विवाद को ख़तम किया और चैन की सांस ली...
पत्रकार
अमरदीप सिंह
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