मेरे अल्लाह, मेरे मालिक, मेरे वाहेगुरु,
तू ही बता मै करूँ तो क्या करूँ ....
कांटो की राह पर भी तूने चलना सिखाया,
गिरने पर उठ के संभलना भी तूने बताया...
सूरज की तरह पल- पल जलता रहा मै,
चाँद सा रोशन भी तूने बनाया...
तूने अगर छिना जो तूने ही दिया था,
तूने ही जना और तूने ही दफनाया....
इन्सां हूँ मै, मै तुझसा खुदा नही,
तेरी कायनात का हूँ, मै तुझसे जुदा नही...
खफा है तू ये कैसा समां आया,
तेरी ही ममता का है मुझपे साया...
आगे भी देगा जो तुने दिया था,
तुझको ही हर तरफ मैंने है पाया....
तेरी ही मूरत तेरी ही काया..
तू ही बता मै करूँ तो क्या करूँ ....
>>>>अमरदीप<<<<
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