गुनाह मेरा इतना बड़ा ना था,
जितनी तुमने सजा दे दी..
दूर ही करना था खुद से तो,
पहले क्यों करीब आने की रजा (मंजूरी) दे दी..
हद तो आपने बनायीं रिश्ते के बीच,
और हमसे कहा की हद कर दी..
जुदा ना कर पाता हमे कोई,
किसी और से पहले आपने वो हिम्मत कर दी..
मैं तो कर चला था ये जिंदगी आपके नाम,
और आपने कह दिया की कैसे ये जरुरत (गलती) कर दी..
>>>>अमरदीप<<<<<
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